Liver Cirrhosis kya hai?

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लिवर सिरोसिस क्या है? 

 

शब्द “सिरोसिस” एक बीमारी के बारे में बताता जिससे लिवर की संरचना बदल जाती है और जो स्वरुप में रेशेदार और गांठदार होता है। सिरोसिस को आम तौर पर कई पुरानी लिवर बीमारियों की प्रगति के परिणाम स्वरुप में देखा जाता है। स्टीटोसिस(steatosis), माइटोकॉन्ड्रियल क्षति(mitochondrial damage) और आरओएस उत्पादन(ROS generation) सभी लिवर के द्वारा शराब को पचाने में भूमिका निभाते हैं।। शराब का सेवन स्टीटोसिस का अहम कारण है, जो अलक्होलिक (alcoholic) लिवर की बीमारी का पहला चरण है। भारी मात्रा में लगातार शराब के सेवन से अलक्होलिक लिवर की बीमारी हेपेटाइटिस(hepatitis), फाइब्रोसिस(fibrosis) और अंततः सिरोसिस में बदल जाती है।

 

लिवर सिरोसिस के कारण

 

  • हेपेटाइटिस सी(hepatitis C)

लिवर सिरोसिस का एक महत्वपूर्ण कारण वायरल बीमारी हेपेटाइटिस सी है। हेपेटाइटिस सी और ऑक्सीडेटिव तनाव(oxidative stress) के बीच संबंध को इस बात से समझा जा सकता है कि वायरस लिवर की एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करने की क्षमता को कम कर देता है।

 

  • शराब की लत

सिरोसिस की एक बड़ी वजह लगातार बहुत ज़्यादा शराब पीना है। सिरोसिस के लगभग 25-30% मामलों में शराब एक मुख्य कारण है। शराब का पाचन लिवर द्वारा होता है, और इसको बहुत ज़्यादा पीने से लिवर कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है। शराब लिवर में सूजन और घाव की वजह बन सकती है।

 

  • गैर-अलक्होलिक  फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी)

जिन लोगों में मोटापे की बीमारी है, या जिनमे मेटाबोलिक सिंड्रोम(metabolic syndrome) या टाइप 2 मधुमेह(type 2 diabetes) जैसी स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियाँ हैं, या हाई कोलेस्ट्रॉल है, उनमें एनएएफएलडी(NAFLD) बीमारी होने की ज़्यादा संभावना है। इस बीमारी में लिवर के भीतर अनावशयक फैट जमा हो जाता है। एनएएफएलडी आगे चलकर सिरोसिस में तब्दील हो सकता है।

 

सिरोसिस लिवर फाइब्रोसिस(liver fibrosis) का एक गंभीर रूप है जो ऊपर बताए गए कई कारणों से हो सकता है, जैसे लंबे समय तक शराब पीना, पर्यावरण के ज़हरीले पदार्थों के संपर्क में बार-बार आना और वायरल बीमारी होना। हर व्यक्ति सेहत से जुड़ी इन परेशानियों से अलग-अलग तरीके से प्रभावित होता है, और दूसरों की तुलना में ये कुछ लोगों को ज़्यादा नुकसान पहुँचा सकते हैं।

 

लिवर सिरोसिस के लक्षण

स्वस्थ कल के लिए आज सिरोसिस के लक्षणों को पहचानें

 

  • लगातार खुजली होना

त्वचा में खुजली होना सिरोसिस का एक सामान्य लक्षण है, जो खराब लिवर और खून में टॉक्सिक(toxic) पदार्थों के जमा होने के कारण हो सकता है।

 

  • थकान या कमज़ोरी 

सिरोसिस की वजह से आमतौर पर शक्ति की कमी और थकावट होती है।

 

  • आसानी से चोट लगना और खून बहना

सिरोसिस लिवर की ब्लड क्लॉटिंग(blood clotting) क्षमता को ख़राब कर देता है, जिसकी वजह से चोट लगने पर खून की क्लॉट करने की क्षमता प्रभावित होती है।

 

  • असमंजस की स्थिति

भ्रम, भूलने की बीमारी, व्यक्तित्व में बदलाव आदि, ये सभी हेपेटिक एन्सेफेलोपैथी (hepatic encephalopathy) नामक बीमारी के लक्षण हैं, जो लिवर की खराबी से जुड़ी हुई है।

 

  • वज़न में अनचाही कमी होना 

सिरोसिस के रोगियों में भूख की कमी हो सकती है, जिसकी वजह से वज़न कम हो सकता है।

 

  • यूरिन का रंग गहरा होना

बिलीरुबिन(bilirubin) के होने की वजह से, यूरिन रंग में गहरा या भूरा दिखाई दे सकता है।

 

  • त्वचा का पीला पड़ना

ऐसा तब होता है जब लिवर बिलीरुबिन नामक पीले रंग को ठीक से तोड़ नहीं पाता है, जो रेड ब्लड सेल्स(red blood cells) के टूटने पर बनता है।

 

  • पेट में सूजन

सिरोसिस आपके पेट में द्रव का संचय होने की वजह बन सकता है, जिसकी वजह से पेट में सूजन आ सकती है।

 

लिवर सिरोसिस की जांच 

 

1.लिवर बायोप्सी(Liver Biopsy)

लिवर में घाव की गहरायी पता करने के लिए लिवर बायोप्सी की जाती है। जहाँ दूसरे टेस्ट्स के नतीजे अस्पष्ट होते हैं, वहाँ लिवर बायोप्सी यह बता सकती है कि किसी को सिरोसिस है या नहीं। एक हेपेटोलॉजिस्ट (hepatologist) बायोप्सी का इस्तेमाल करके लिवर सिरोसिस की पहचान कर सकता है और यह जान सकता है कि पेशेंट को ट्रीटमेंट की ज़रूरत है या नहीं।

 

2.ब्लड टेस्ट(Blood Test)

लिवर फंक्शन टेस्ट से लिवर की बीमारी और लिवर की विफलता के लक्षण सामने आ सकते हैं। ये आपके रक्त में बिलीरुबिन(bilirubin), प्रोटीन और अन्य यकृत उत्पादों(liver products) की मात्रा को मापते हैं। इसके अतिरिक्त, अन्य दुष्प्रभावों, जैसे रक्त जमाव(blood coagulation) की समस्या का पता ब्लड टेस्ट द्वारा लगाया जा सकता है।

 

3.इमेजिंग टेस्ट(Imaging Test)

पेट के अल्ट्रासाउंड(ultrasound), सीटी स्कैन(CT Scan) या एमआरआई(MRI) जैसे इमेजिंग टेस्ट्स से आपके लिवर के आकार, और बनावट का पता लगाया जा सकता है। लास्टोग्राफी(elastography), एक विशेष इमेजिंग प्रक्रिया है, जो अल्ट्रासोनिक या एमआरआई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके आपके लिवर में फाइब्रोसिस या कठोरता को मापती है।

 

ऊपर दिए गए सभी टेस्ट्स की मदद से किसी भी व्यक्ति में लिवर सिरोसिस की पहचान की जा सकती है। 

 

लिवर सिरोसिस से बचने के लिए क्या करें?

 

  1. मधुमेह को नियंत्रित करें 
  2. नमक का सेवन सीमित करें
  3. एक संतुलित आहार खाएं
  4. हेपेटाइटिस संक्रमण (Hepatitis Infection) को रोकें
  5. वजन को नियंत्रित रखें
  6. शराब का सेवन सीमित या बंद करें

 

लिवर सिरोसिस में कितनी स्टेज होती है?

 

  1. कम्पेंसेटेड सिरोसिस (compensated liver cirrhosis)

इस प्रारंभिक स्टेज में लिवर को गंभीर रूप से नुक्सान होता है, पर इसकी भरपाई की जा सकती है। संभव है मरीजों को किसी भी लक्षण का अनुभव न हो, या उनमें केवल कमजोरी या थोड़ा पेट दर्द जैसे मामूली लक्षण हो सकते हैं। इमेजिंग टेस्ट में लिवर पर घाव दिखाई दे सकते हैं और लिवर फंक्शन टेस्ट में भी असामान्यता दिख सकती है।

 

  1. विघटित सिरोसिस(decompensated liver cirrhosis)

यह स्टेज तब विकसित होती है जब लिवर की काम करने की क्षमता गंभीर रूप से कम हो जाती है। हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी(hepatic encephalopathy) अर्थात लिवर रोग के कारण भ्रम होना, जलोदर (पेट में तरल पदार्थ का जमा होना), और पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना) जैसे लक्षण आ जाते हैं जो  काफ़ी स्पष्ट भी होते हैं।

 

  1. अंतिम चरण सिरोसिस

इस स्टेज में, लिवर के काम करने की शक्ति काफ़ी हद तक क्षीण हो जाती है, और रोगी को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कुपोषण, संक्रमण की संभावना अधिक होना और हेपेटोरेनल सिंड्रोम (किडनी की खराबी) आदि को लिवर सिरोसिस लास्ट स्टेज सिम्पटम्स कहा जाता है। हेपेटिक एन्सेफैलोपैथी(hepatic encephalopathy) और जलोदर, ये दोनों इलाज के असर पर दुष्प्रभाव डाल सकते हैं। अगर इस स्टेज पर इलाज नहीं किया जाता है तो यह बिमारी मरीज़ के लिए घातक हो सकती है। (लिवर सिरोसिस स्टेज डेथ)

 

Liver cirrhosis का इलाज

 

क्या लिवर सिरोसिस का इलाज संभव है?

 

सिरोसिस एक निरंतर चलने वाली बीमारी है, और इलाज के दौरान लक्ष्य इसकी प्रगति को धीमा करना, इसके दुष्प्रभावों को नियंत्रित करना और सेहत में सुधार करना होता है। बीमारी का मूल कारण और चरण लिवर सिरोसिस के उपचार को तय करते हैं। बीमारी की पहचान और सही उपचार गंभीर दुष्परिणामों से बचने के लिए आवश्यक है। सिरोसिस के रोगियों को एक होम्योपैथिक विशेषज्ञ के साथ मिलकर एक उपचार योजना बनाने पर काम करना चाहिए जो उनकी विशिष्ट स्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार हो।

 

लिवर सिरोसिस के लिए होम्योपैथी एक बेहद सफल इलाज है। होम्योपैथिक दवाएं लिवर सिरोसिस के मूल कारणों का इलाज करती हैं, जैसे कि वायरल संक्रमण, शराब के दुष्प्रभाव, पाचन संबंधी समस्याएँ, आदि। यह लिवर सिरोसिस से होने वाले दुष्प्रभावों के उपचार में भी सहायता करती हैं। होम्योपैथिक उपचार दुष्प्रभावों के बिना लक्षणों से राहत प्रदान करता है।

 

भारत होम्योपैथी ही क्यों?

 

हमारे डॉक्टरों की टीम जीवनशैली में बदलाव का सुझाव देती है और सिरोसिस के मूल कारणों का इलाज करने के लिए होम्योपैथिक दवाएँ लिखती है ताकि लिवर में और अधिक नुकसान होने से रोका जा सके। वे सिरोसिस के रोगियों को बीमारी को बढ़ाने वाले व्यवहार जैसे शराब का सेवन करना और विशिष्ट दवाओं का उपयोग करना आदि से बचने की सलाह देते हैं। कभी-कभी, वे सिरोसिस से पीड़ित उन लोगों को, जिन्हें मोटापे की भी बीमारी है, वजन घटाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।